गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

कविता




पढ़ना चाहता हूँ एक अच्छी कविता
सुभाष नीरव

मैं पढ़ना चाहता हूँ
एक अच्छी कविता।

कविता
कि जिसे पढ़कर
खुल जाएं
बाहर-भीतर के किवाड़
मन का कोना-कोना
गमकने-महकने लगे
ताज़ी हवा से।

कविता
कि जिसे पढ़कर
मन के अँधेरों में
उतर आए
रोशनी की लकीर।

पढ़ना चाहता हूँ मैं
एक अच्छी कविता।

एक ऐसी कविता
जो उतरे मेरे भीतर
जैसे उतरते हैं
पहाड़ों पर से
घाटियों में
जल-प्रपात
अपने मधुर संगीत के साथ।

कविता
तुम आओ तो इसी तरह आना
मेरे पास !
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(कविता संग्रह “रोशनी की लकीर” में संग्रहित)