पढ़ना चाहता हूँ एक अच्छी कविता
सुभाष नीरवमैं पढ़ना चाहता हूँ
एक अच्छी कविता।
कविता
कि जिसे पढ़कर
खुल जाएं
बाहर-भीतर के किवाड़
मन का कोना-कोना
गमकने-महकने लगे
ताज़ी हवा से।
कविता
कि जिसे पढ़कर
मन के अँधेरों में
उतर आए
रोशनी की लकीर।
पढ़ना चाहता हूँ मैं
एक अच्छी कविता।
एक ऐसी कविता
जो उतरे मेरे भीतर
जैसे उतरते हैं
पहाड़ों पर से
घाटियों में
जल-प्रपात
अपने मधुर संगीत के साथ।
कविता
तुम आओ तो इसी तरह आना
मेरे पास !
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(कविता संग्रह
“रोशनी की लकीर” में संग्रहित)