मित्रो, इधर
हिंदी की कथा-पत्रिका ‘कथाक्रम’ के ताज़ा अंक (अप्रैल-जून 2013) में मेरी नई लघुकथा
‘बर्फ़ी’ प्रकाशित हुई है। इस लघुकथा को मैं आप सबसे अपने ब्लॉग ‘सृजन-यात्रा’ पर
भी साझा कर रहा हूँ ताकि जिन मित्रों के पास ‘कथाक्रम’ नहीं आती, अथवा उन्हें
उपलब्ध नहीं होती, वे भी मेरी इस लघुकथा का रसास्वादन कर सकें।
-सुभाष नीरव
बर्फी
सुभाष नीरव
वह दिल्ली एअरपोर्ट पर उतरा। बाहर निकलकर
पहले मोबाइल पर किसी से बात की और फिर नज़दीक के ही एक होटल के लिए टैक्सी पकड़ ली।
वह अक्सर ऐसा ही करता है। जब भी इंडिया दस-पंद्रह दिन के लिए आता है, न्यूयार्क
से दिल्ली की फ्लाइट लेता है। दिल्ली एक रात स्टे करके अगले दिन मुंबई के लिए
दूसरी फ्लाइट पकड़ता है। मुंबई में उसका घर है। माता-पिता है, पत्नी है, छोटी बहन है जो अलग रहती है।
होटल के अपने कमरे में जब पहुँचा, रात के आठ बज रहे
थे। वह नहा-धोकर फ्रैश हो लेना चाहता था कि तभी बेल हुई। दरवाज़ा खोला। सामने नज़र
पड़ते ही उसके माथे पर पसीने की बूँदें चुहचुहा आईं। आगंतुक लड़की ने भी अपनी घबराहट
को तुरन्त झटका।
''देखा पकड़ लिया न। मैंने आपको होटल में घुसते और इस कमरे में आते देख लिया
था। सोचा पीछा करती हूँ।''
''शिखा ! तुम यहाँ ?''
''हूँ... चौंकते क्यों हैं ? कल मुंबई-दिल्ली की चार
बजे वाली फ्लाइट से उतरी थी। आज रात की फ्लाइट से वापस मुंबई। अक्सर इसी होटल में
रुकना होता है, अगली डयूटी पर जाने तक।''
''अरे मैं तो भूल ही गया कि तुम दो साल से एअर लाइन्स में जॉब कर रही हो।''
उसने अपने आप को सामान्य करते हुए कहा।
''पर आप कभी बता कर इंडिया नहीं आते। कोई फोन ही कर दिया करो।''
''मुझे सरप्राइज़ देने की आदत है न। चल छोड़, घर पर सब
ठीक हैं न ? जाती रहती हो न मम्मी-पापा से मिलने ?''
''महीने-दो महीने में एक-दो बार तो चली ही जाती हूँ। आप बताओ, कैसा चल रहा है यूएसए में। और कब बुला रहे हो भाभी को अपने पास ?''
''ठीक है, ग्रीन कार्ड मिल जाए तो बुला लूँगा उसे भी।''
''मम्मी-पापा
के पास कब पहुँच रहे हो ?''
''कल दिन
में यहाँ कुछ काम है, इसलिए यहाँ रुकना पड़ा। कल शाम की
फ्लाइट से मैं मुंबई पहुँच रहा हूँ।
''अच्छा भैया चलती हूँ... रात दस बजे की मेरी फ्लाइट है।''
''ओ.के. बाय...।''
''बाय!''
शिखा के जाते ही उसने मोबाइल पर फोन मिलाया।
''सर! क्या बर्फी पहुँची नहीं अभी तक।'' उधर से आवाज़
आई।
''ये तुमने ... ?'' वह भन्नाया।
''क्या हुआ सर! पसंद नहीं आई ? दूसरी भेजता हूँ।''
''नहीं रहने दो अब।... इंडिया से लौटते समय देखूँगा।'' उसने झटके से फोन बंद किया और फ्रैश होने के लिए बाथरूम में घुस गया।
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